Job Promotion Tips: रोजगार की दुनिया में प्रवेश के लिए कैंपस में की गई पढ़ाई मददगार तो होती है, लेकिन इस दुनिया में टिके रहने और आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई के अलावा और भी कई कौशल चाहिए होते हैं। ये कौशल बेहतर होंगे तो आप औरों से आगे रहेंगे।
बेहतर संवाद :
संवाद में बेहतर होने से मतलब है कि आप जो कहना चाहते हैं, उसे स्पष्टता से कहें। अगर उसमें अस्पष्टता होगी तो आपकी बात सही तरह से सामने वाले के तक नहीं पहुंचेगी और आप इच्छित परिणाम हासिल नहीं कर पाएंगे। इस स्किल को बेहतर बनाने के लिए आपको पढ़ाई के दौरान लेखन का अभ्यास करना चाहिए। वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहिए। ब्लॉग या सोशल मीडिया पर लिखना चाहिए। अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि कम्युनिकेशन स्किल में इस पर भी ध्यान दिया जाता है।
टीम वर्क :
जिन लोगों के साथ आप काम करते हैं, उनके साथ तालमेल बनाकर काम करना भी आना चाहिए, ताकि लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
जिन लोगों के साथ आप काम करते हैं, उनके साथ तालमेल बनाकर काम करना भी आना चाहिए, ताकि लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
समस्या समाधान:
किसी भी समस्या का समाधान खोजने के लिए आपमें तार्किक प्रक्रियाओं का उपयोग करने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए आपको अध्ययन के दौरान रिसर्च की आदत डालनी चाहिए। दूसरों से इस बारे में बात करनी चाहिए कि वे जब समस्या से रूबरू होते हैं, तो समाधान कैसे ढूंढ़ते हैं। घर में खराब चीजों को ठीक करने के अभ्यास से *भी समस्या समाधान करने की तार्किक क्षमता बढ़ती है।
किसी भी समस्या का समाधान खोजने के लिए आपमें तार्किक प्रक्रियाओं का उपयोग करने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए आपको अध्ययन के दौरान रिसर्च की आदत डालनी चाहिए। दूसरों से इस बारे में बात करनी चाहिए कि वे जब समस्या से रूबरू होते हैं, तो समाधान कैसे ढूंढ़ते हैं। घर में खराब चीजों को ठीक करने के अभ्यास से *भी समस्या समाधान करने की तार्किक क्षमता बढ़ती है।
योजना और प्रबंधन:
किसी काम को कैसे किया जाए, इसके बारे में विचार करना और योजना के अनुसार उसे करना। जैसे कि किसी प्रोजेक्ट के लिए टाइम लाइन तैयार करना और उसे निर्धारित समय-सीमा में पूरा करना। यह कौशल विकसित करने की प्रक्रिया छात्र-जीवन से शुरू की जा सकती है। जैसे कि पढ़ाई का सही और व्यावहारिक टाइम-टेबल बनाना और पूरी प्रतिबद्धता से उस पर अमल करना।
किसी काम को कैसे किया जाए, इसके बारे में विचार करना और योजना के अनुसार उसे करना। जैसे कि किसी प्रोजेक्ट के लिए टाइम लाइन तैयार करना और उसे निर्धारित समय-सीमा में पूरा करना। यह कौशल विकसित करने की प्रक्रिया छात्र-जीवन से शुरू की जा सकती है। जैसे कि पढ़ाई का सही और व्यावहारिक टाइम-टेबल बनाना और पूरी प्रतिबद्धता से उस पर अमल करना।
स्व-प्रबंधन:
बिना किसी के बार-बार ताकीद किए अपने काम को करना। अपने काम की डेडलाइन को मुस्तैदी से पूरा करना। दूसरे लोगों को काम सौंपना, यह सुनिश्चित करना कि वह समय पर पूरा हो जाए।.
बिना किसी के बार-बार ताकीद किए अपने काम को करना। अपने काम की डेडलाइन को मुस्तैदी से पूरा करना। दूसरे लोगों को काम सौंपना, यह सुनिश्चित करना कि वह समय पर पूरा हो जाए।.
सीखने की प्रवृत्ति:
आपमें नई चीजों को जानने और उन्हें तुरंत अमल में लाने की ललक होनी चाहिए। साथ ही, नए कामों को हाथ में लेने की स्वाभाविक इच्छा होनी चाहिए और बदलावों को अपनाने की योग्यता भी। इस तरह आप कार्य के तौर-तरीकों में बदलावों के बावजूद बेहतर ढंग से काम करते रहने में समर्थहोंगे।
आपमें नई चीजों को जानने और उन्हें तुरंत अमल में लाने की ललक होनी चाहिए। साथ ही, नए कामों को हाथ में लेने की स्वाभाविक इच्छा होनी चाहिए और बदलावों को अपनाने की योग्यता भी। इस तरह आप कार्य के तौर-तरीकों में बदलावों के बावजूद बेहतर ढंग से काम करते रहने में समर्थहोंगे।
पहल और उद्यमिता
उन चीजों पर नजर दौड़ाना, जिन्हें किया जाना है और उन्हें खुद करने की पहल करना। इन चीजों को बेहतर तरीके से करने में रचनात्मक सोच की भी बड़ी भूमिका होती है।
उन चीजों पर नजर दौड़ाना, जिन्हें किया जाना है और उन्हें खुद करने की पहल करना। इन चीजों को बेहतर तरीके से करने में रचनात्मक सोच की भी बड़ी भूमिका होती है।
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